62 और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा॥
63 जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसे ठट्ठों में उड़ाकर पीटने लगे।
64 और उस की आंखे ढांपकर उस से पूछा, कि भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा।
65 और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं॥
66 जब दिन हुआ तो लोगों के पुरिनए और महायाजक और शास्त्री इकट्ठे हुए, और उसे अपनी महासभा में लाकर पूछा,
67 यदि तू मसीह है, तो हम से कह दे! उस ने उन से कहा, यदि मैं तुम से कहूं तो प्रतीति न करोगे।
68 और यदि पूछूं, तो उत्तर न दोगे।