6 मैं अपने हाथों को निर्दोषता के जल से धोऊंगा, तब हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूंगा,
7 ताकि तेरा धन्यवाद ऊंचे शब्द से करूं,
8 और तेरे सब आश्चर्यकर्मों का वर्णन करूं॥ हे यहोवा, मैं तेरे धाम से तेरी महिमा के निवास स्थान से प्रीति रखता हूं।
9 मेरे प्राण को पापियों के साथ, और मेरे जीवन को हत्यारों के साथ न मिला।
10 वे तो ओछापन करने में लगे रहते हैं, और उनका दाहिना हाथ घूस से भरा रहता है॥
11 परन्तु मैं तो खराई से चलता रहूंगा। तू मुझे छुड़ा ले, और मुझ पर अनुग्रह कर।
12 मेरे पांव चौरस स्थान में स्थिर है; सभाओं में मैं यहोवा को धन्य कहा करूंगा॥