1 हे द्वीपों, मेरे साम्हने चुप रहो; देश देश के लोग नया बल प्राप्त करें; वे समीप आकर बोलें; हम आपस में न्याय के लिये एक दूसरे के समीप आएं॥
2 किस ने पूर्व दिशा से एक को उभारा है, जिसे वह धर्म के साथ अपने पांव के पास बुलाता है? वह जातियों को उसके वश में कर देता और उसको राजाओं पर अधिकारी ठहराता है; उसकी तलवार वह उन्हें धूल के समान, और उसके धनुष से उड़ाए हुए भूसे के समान कर देता है।
3 वह उन्हें खदेड़ता और ऐसे मार्ग से, जिस पर वह कभी न चला था, बिना रोक टोक आगे बढ़ता है।
4 किस ने यह काम किया है और आदि से पीढिय़ों को बुलाता आया है? मैं यहोवा, जो सब से पहिला, और अन्त के समय रहूंगा; मैं वहीं हूं॥
5 द्वीप देखकर डरते हैं, पृथ्वी के दूर देश कांप उठे और निकट आ गए हैं।