1 शमूएल 25:28-34 HHBD

28 अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिये कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी।

29 और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करने और तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तौभी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बन्धा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफन में रखकर फेंक देगा।

30 इसलिये जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उसने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा,

31 तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, वा मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तू ने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना पलटा आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना।

32 दाऊद ने अबीगैल से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज के दिन मुझ से भेंट करने के लिये तुझे भेजा है।

33 और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तू ने मुझे आज के दिन खून करने और अपना पलटा आप लेने से रोक लिया है।

34 क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुझ से भेंट करने को न आती, तो नि:सन्देह बिहान को उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता।