9 नाना प्रकार के और ऊपक्की उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्तुओं से जिन से काम रखने वालों को कुछ लाभ न हुआ।
10 हमारी एक ऐसी वेदी है, जिस पर से खाने का अधिकार उन लोगों को नहीं, जो तम्बू की सेवा करते हैं।
11 क्योंकि जिन पशुओं का लोहू महायाजक पाप-बलि के लिये पवित्र स्थान में ले जाता है, उन की देह छावनी के बाहर जलाई जाती है।
12 इसी कारण, यीशु ने भी लोगों को अपने ही लोहू के द्वारा पवित्र करने के लिये फाटक के बाहर दुख उठाया।
13 सो आओ उस की निन्दा अपने ऊपर लिए हुए छावनी के बाहर उसके पास निकल चलें।
14 क्योंकि यहां हमारा कोई स्थिर रहने वाला नगर नहीं, वरन हम एक आने वाले नगर की खोज में हैं।
15 इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान, अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।