23 और जब उस की लोथ न पाई, तो यह कहती हुई आईं, कि हम ने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्हों ने कहा कि वह जीवित है।
24 तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उस को न देखा।
25 तब उस ने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों!
26 क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे?
27 तब उस ने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्र शास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।
28 इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।
29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है। तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया।