1 तब नामाती सोपर ने कहा,
2 मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूं, और इसलिये बोलने में फुतीं करता हूँ।
3 मैं ने ऐसी चितौनी सुनी जिस से मेरी निन्दा हुई, और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है।
4 क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन और उस समय का है, जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया,