40 कि इस्त्राएलियों को इस बात का स्मरण रहे कि कोई दूसरा, जो हारून के वंश का न हो, यहोवा के साम्हने धूप चढ़ाने को समीप न जाए, ऐसा न हो कि वह भी कोरह और उसकी मण्डली के समान नष्ट हो जाए, जैसे कि यहोवा ने मूसा के द्वारा उसको आज्ञा दी थी॥
41 दूसरे दिन इस्त्राएलियों की सारी मण्डली यह कहकर मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगी, कि यहोवा की प्रजा को तुम ने मार डाला है।
42 और जब मण्डली के लोग मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हो रहे थे, तब उन्होंने मिलापवाले तम्बू की ओर दृष्टि की; और देखा, कि बादल ने उसे छा लिया है, और यहोवा का तेज दिखाई दे रहा है।
43 तब मूसा और हारून मिलापवाले तम्बू के साम्हने आए,
44 तब यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
45 तुम उस मण्डली के लोगों के बीच से हट जाओ, कि मैं उन्हें पल भर में भस्म कर डालूं। तब वे मुंह के बल गिरे।
46 और मूसा ने हारून से कहा, धूपदान को ले कर उस में वेदी पर से आग रखकर उस पर धूप डाल, मण्डली के पास फुरती से जा कर उसके लिये प्रायश्चित्त कर; क्योंकि यहोवा का कोप अत्यन्त भड़का है, और मरी फैलने लगी है।