13 और मूसा ने अपनी लाट्ठी को मिस्र देश के ऊपर बढ़ाया, तब यहोवा ने दिन भर और रात भर देश पर पुरवाई बहाई; और जब भोर हुआ तब उस पुरवाई में टिड्डियां आईं।
14 और टिडि्डयों ने चढ़ के मिस्र देश के सारे स्थानों मे बसेरा किया, उनका दल बहुत भारी था, वरन न तो उनसे पहले ऐसी टिड्डियां आई थी, और न उनके पीछे ऐसी फिर आएंगी।
15 वे तो सारी धरती पर छा गई, यहां तक कि देश अन्धेरा हो गया, और उसका सारा अन्न आदि और वृक्षों के सब फल, निदान जो कुछ ओलों से बचा था, सब को उन्होंने चट कर लिया; यहां तक कि मिस्र देश भर में न तो किसी वृक्ष पर कुछ हरियाली रह गई और न खेत में अनाज रह गया।
16 तब फिरौन ने फुर्ती से मूसा और हारून को बुलवा के कहा, मैं ने तो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का और तुम्हारा भी अपराध किया है।
17 इसलिये अब की बार मेरा अपराध क्षमा करो, और अपने परमेश्वर यहोवा से बिनती करो, कि वह केवल मेरे ऊपर से इस मृत्यु को दूर करे।
18 तब मूसा ने फिरोन के पास से निकल कर यहोवा से बिनती की।
19 तब यहोवा ने बहुत प्रचण्ड पछुवा बहाकर टिड्डियों को उड़ाकर लाल समुन्द्र में डाल दिया, और मिस्र के किसी स्थान में एक भी टिड्डी न रह गई।