13 अपने दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर, जिन से तू ने अपनी ही किरिया खाकर यह कहा था, कि मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूंगा, और यह सारा देश जिसकी मैं ने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूंगा, कि वह उसके अधिकारी सदैव बने रहें।
14 तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उस ने कहा था पछताया॥
15 तब मूसा फिरकर साक्षी की दानों तख्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया, उन तख्तियों के तो इधर और उधर दोनों अलंगों पर कुछ लिखा हुआ था।
16 और वे तख्तियां परमेश्वर की बनाईं हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था॥
17 जब यहोशू को लोगों के कोलाहल का शब्द सुनाईं पड़ा, तब उसने मूसा से कहा, छावनी से लड़ाई का सा शब्द सुनाईं देता है।
18 उसने कहा, वह जो शब्द है वह न तो जीतने वालों का है, और न हारने वालों का, मुझे तो गाने का शब्द सुन पड़ता है।
19 छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना देख पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला।