नीतिवचन 18:18-24 HHBD

18 चिट्ठी डालने से झगड़े बन्द होते हैं, और बलवन्तों की लड़ाई का अन्त होता है।

19 चिढ़े हुए भाई को मनाना दृढ़ नगर के ले लेने से कठिन होता है, और झगड़े राजभवन के बेण्डों के समान हैं।

20 मनुष्य का पेट मुंह की बातों के फल से भरता है; और बोलने से जो कुछ प्राप्त होता है उस से वह तृप्त होता है।

21 जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।

22 जिस ने स्त्री ब्याह ली, उस ने उत्तम पदार्थ पाया, और यहोवा का अनुग्रह उस पर हुआ है।

23 निर्धन गिड़गिड़ा कर बोलता है, परन्तु धनी कड़ा उत्तर देता है।

24 मित्रों के बढ़ाने से तो नाश होता है, परन्तु ऐसा मित्र होता है, जो भाई से भी अधिक मिला रहता है।