19 हे मेरे पुत्र, तू सुन कर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।
20 दाखमधु के पीने वालों में न होना, न मांस के अधिक खाने वालों की संगति करना;
21 क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पीनक वाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं।
22 अपने जन्माने वाले की सुनना, और जब तेरी माता बुढिय़ा हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना।
23 सच्चाई को मोल लेना, बेचना नहीं; और बुद्धि और शिक्षा और समझ को भी मोल लेना।
24 धर्मी का पिता बहुत मगन होता है; और बुद्धिमान का जन्माने वाला उसके कारण आनन्दित होता है।
25 तेरे कारण माता-पिता आनन्दित और तेरी जननी मगन होए॥