19 वैसा ही वह भी होता है जो अपने पड़ोसी को धोखा दे कर कहता है, कि मैं तो ठट्ठा कर रहा था।
20 जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहां कानाफूसी करने वाला नहीं वहां झगड़ा मिट जाता है।
21 जैसा अंगारों में कोयला और आग में लकड़ी होती है, वैसा ही झगड़े के बढ़ाने के लिये झगडालू होता है।
22 कानाफूसी करने वाले के वचन, स्वादिष्ट भोजन के समान भीतर उतर जाते हैं।
23 जैसा कोई चान्दी का पानी चढ़ाया हुअ मिट्टी का बर्तन हो, वैसा ही बुरे मन वाले के प्रेम भरे वचन होते हैं।
24 जो बैरी बात से तो अपने को भोला बनाता है, परन्तु अपने भीतर छल रखता है,
25 उसकी मीठी-मीठी बात प्रतीति न करना, क्योंकि उसके मन में सात घिनौनी वस्तुएं रहती हैं;