8 गूंगे के लिये अपना मुंह खोल, और सब अनाथों का न्याय उचित रीति से किया कर।
9 अपना मुंह खोल और धर्म से न्याय कर, और दीन दरिद्रों का न्याय कर।
10 भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उस के पति के मन में उस के प्रति विश्वास है।
11 और उसे लाभ की घटी नहीं होती।
12 वह अपने जीवन के सारे दिनों में उस से बुरा नहीं, वरन भला ही व्यवहार करती है।
13 वह ऊन और सन ढूंढ़ ढूंढ़ कर, अपने हाथों से प्रसन्नता के साथ काम करती है।
14 वह व्यापार के जहाजों की नाईं अपनी भोजन वस्तुएं दूर से मंगवाती हैं।