1 याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है।
2 यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है।
3 वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।
4 वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।
5 हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है।
6 यहोवा नम्र लोगों को सम्भलता है, और दुष्टों को भूमि पर गिरा देता है॥
7 धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ।