13 और आकाश के तानने वाले और पृथ्वी की नेव डालने वाले अपने कर्ता यहोवा को भूल गया है, और जब द्रोही नाश करने को तैयार होता है तब उसकी जलजलाहट से दिन भर लगातार थरथराता है? परन्तु द्रोही की जलजलाहट कहां रही?
14 बंधुआ शीघ्र ही स्वतन्त्र् किया जाएगा; वह गड़हे में न मरेगा और न उसे रोटी की कमी होगी।
15 जो समुद्र को उथल-पुथल करता जिस से उसकी लहरों में गरजन होती है, वह मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है। और मैं ने तेरे मुंह में अपने वचन डाले,
16 और तुझे अपने हाथ की आड़ में छिपा रखा है; कि मैं आकाश को तानूं और पृथ्वी की नेव डालूं, और सिय्योन से कहूं, तुम मेरी प्रजा हो॥
17 हे यरूशलेम जाग! जाग उठ! खड़ी हो जा, तू ने यहोवा के हाथ से उसकी जलजलाहट के कटोरे में से पिया है, तू ने कटोरे का लड़खड़ा देने वाला मद पूरा पूरा ही पी लिया है।
18 जितने लड़कों ने उस से जन्म लिया उन में से कोई न रहा जो उसकी अगुवाई कर के ले चले; और जितने लड़के उसने पाले-पोसे उन में से कोई न रहा जो उसके हाथ को थाम ले।
19 ये दो विपत्तियां तुझ पर आ पड़ी हैं; कौन तेरे संग विलाप करेगा? उजाड़ और विनाश और महंगी और तलवार आ पड़ी है; कौन तुझे शान्ति देगा?