यहेजकेल 16:30-36 HHBD

30 प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?

31 तू ने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊंचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हंसती है।

32 तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराये पुरुषों को अपने पति की सन्ती ग्रहण करती है।

33 सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तू ने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपए देकर, और उन को लालच दिखा कर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।

34 इस प्रकार तेरा व्यभिचार और व्यभिचारियों से उलटा है। तेरे पीछे कोई व्यभिचारी नहीं चलता, और तू किसी से दाम लेती नहीं, वरन तू ही देती है; इसी कारण तू उलटी ठहरी।

35 इस कारण, हे वेश्या, यहोवा का वचन सुन,

36 प्रभु यहोवा यों कहता है, कि तू ने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज हो कर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूरतों से घृणित काम किए, और अपने लड़के-बालों का लोहू बहा कर उन्हें बलि चढ़ाया है,