6 और जब इतने दिन पूरे हो जाएं, तब अपने दाहिने पांजर के बल लेट कर यहूदा के घराने के अधर्म का भार सह लेना; मैं ने उसके लिये भी और तेरे लिये एक वर्ष की सन्ती एक दिन अर्थात चालीस दिन ठहराए हैं।
7 और तू यरूशलेम के घेरने के लिये बांह उघाड़े हुए अपना मुंह उधर कर के उसके विरुद्ध भविष्यद्वाणी करना।
8 और देख, मैं तुझे रस्सियों से जकडूंगा, और जब तक उसके घेरने के दिन पूरे न हों, तब तक तू करवट न ले सकेगा।
9 और तू गेहूं, जव, सेम, मसूर, बाजरा, और कठिया गेहूं ले कर, एक बासन में रख कर उन से रोटी बनाया करना। जितने दिन तू अपने पांजर के बल लेटा रहेगा, उतने अर्थात तीन सौ नब्बे दिन तक उसे खाया करना।
10 और जो भोजन तू खाए, उसे तौल तौलकर खाना, अर्थात प्रति दिन बीस बीस शेकेल भर खाया करना, और उसे समय समय पर खाना।
11 पानी भी तू माप कर पिया करना, अर्थात प्रति दिन हीन का छठवां अंश पीना; और उसको समय समय पर पीना।
12 और अपना भोजन जव की रोटियों की नाईं बना कर खाया करना, और उसको मनुष्य की बिष्ठा से उनके देखते बनाया करना।