26 तुम पेट भरकर खाओगे, और तृप्त होगे, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम की स्तुति करोगे, जिसने तुम्हारे लिये आश्चर्य के काम किए हैं। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी।
27 तब तुम जानोगे कि मैं इस्राएल के बीच में हूं, और मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूं और कोई दूसरा नहीं है। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी॥
28 उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूंगा; तुम्हारे बेटे-बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।
29 तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूंगा॥
30 और मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार, अर्थात लोहू और आग और धूएं के खम्भे दिखाऊंगा।
31 यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले सूर्य अन्धियारा होगा और चन्द्रमा रक्त सा हो जाएगा।
32 उस समय जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा; और यहोवा के वचन के अनुसार सिय्योन पर्वत पर, और यरूशलेम में जिन बचे हुओं को यहोवा बुलाएगा, वे उद्धार पाएंगे॥