12 मेरी बहिन, मेरी दुल्हिन, किवाड़ लगाई हुई बारी के समान, किवाड़ बन्द किया हुआ सोता, ओर छाप लगाया हुआ झरना है।
13 तेरे अंकुर उत्तम फलवाली अनार की बारी के तुल्य है, जिस में मेंहदी और सुम्बुल,
14 जटामासी और केसर, लोबान के सब भांति के पेड़, मुश्क और दालचीनी, गन्धरस, अगर, आदि सब मुख्य मुख्य सुगन्ध द्रव्य होते हैं।
15 तू बारियों का सोता है, फूटते हुए जल का कुआँ, और लबानोन से बहती हुई धाराएं हैं॥
16 हे उत्तर वायु जाग, और हे दक्खिनी वायु चली आ! मेरी बारी पर बह, जिस से उसका सुगन्ध फैले। मेरा प्रेमी अपनी बारी में आये, और उसके उत्तम उत्तम फल खाए॥