1 किसी बूढ़े को न डांट; पर उसे पिता जान कर समझा दे, और जवानों को भाई जान कर; बूढ़ी स्त्रियों को माता जान कर।
2 और जवान स्त्रियों को पूरी पवित्रता से बहिन जान कर, समझा दे।
3 उन विधवाओं का जो सचमुच विधवा हैं आदर कर।
4 और यदि किसी विधवा के लड़के बाले या नाती पोते हों, तो वे पहिले अपने ही घराने के साथ भक्ति का बर्ताव करना, और अपने माता-पिता आदि को उन का हक देना सीखें, क्योंकि यह परमेश्वर को भाता है।
5 जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं; वह परमेश्वर पर आशा रखती है, और रात दिन बिनती और प्रार्थना में लौलीन रहती है।
6 पर जो भोगविलास में पड़ गई, वह जीते जी मर गई है।
7 इन बातों की भी आज्ञा दिया कर, ताकि वे निर्दोष रहें।