19 कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उस को न सुन।
20 पाप करने वालों को सब के साम्हने समझा दे, ताकि और लोग भी डरें।
21 परमेश्वर, और मसीह यीशु, और चुने हुए स्वर्गदूतों को उपस्थित जान कर मैं तुझे चितौनी देता हूं कि तू मन खोल कर इन बातों को माना कर, और कोई काम पक्षपात से न कर।
22 किसी पर शीघ्र हाथ न रखना और दूसरों के पापों में भागी न होना: अपने आप को पवित्र बनाए रख।
23 भविष्य में केवल जल ही का पीने वाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर।
24 कितने मनुष्यों के पाप प्रगट हो जाते हैं, और न्याय के लिये पहिले से पहुंच जाते हैं, पर कितनों के पीछे से आते हैं।
25 वैसे ही कितने भले काम भी प्रगट होते हैं, और जो ऐसे नहीं होते, वे भी छिप नहीं सकते॥