2 क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैं ने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है।
3 हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए।
4 परन्तु हर बात से परमेश्वर के सेवकों की नाईं अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्लेशों से, दिरद्रता से, संकटो से।
5 कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से।
6 पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से।
7 सच्चे प्रेम से, सत्य के वचन से, परमेश्वर की सामर्थ से; धामिर्कता के हथियारों से जो दाहिने, बाएं हैं।
8 आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से, यद्यपि भरमाने वालों के जैसे मालूम होते हैं तौभी सच्चे हैं।