3 यूहन्ना 1:9-14 HHBD

9 मैं ने मण्डली को कुछ लिखा था; पर दियुत्रिफेस जो उन में बड़ा बनना चाहता है, हमें ग्रहण नहीं करता।

10 सो जब मैं आऊंगा, तो उसके कामों की जो वह कर रहा है सुधि दिलाऊंगा, कि वह हमारे विषय में बुरी बुरी बातें बकता है; और इस पर भी सन्तोष न करके आप ही भाइयों को ग्रहण नहीं करता, और उन्हें जो ग्रहण करना चाहते हैं, मना करता है: और मण्डली से निकाल देता है।

11 हे प्रिय, बुराई के नहीं, पर भलाई के अनुयायी हो, जो भलाई करता है, वह परमेश्वर की ओर से है; पर जो बुराई करता है, उस ने परमेश्वर को नहीं देखा।

12 देमेत्रियुस के विषय में सब ने वरन सत्य ने भी आप ही गवाही दी: और हम भी गवाही देते हैं, और तू जानता है, कि हमारी गवाही सच्ची है॥

13 मुझे तुझ को बहुत कुछ लिखना तो था; पर सियाही और कलम से लिखना नहीं चाहता।

14 पर मुझे आशा है कि तुझ से शीघ्र भेंट करूंगा: तब हम आम्हने साम्हने बातचीत करेंगे: तुझे शान्ति मिलती रहे। यहां के मित्र तुझे नमस्कार करते हैं: वहां के मित्रों से नाम ले लेकर नमस्कार कह देना॥