2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो।
4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है।
5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपरऔर सब के मध्य में, और सब में है।
7 पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है।
8 इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्धुवाई को बान्ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।