7 इसलिये तुम उन के सहभागी न हो।
8 क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, सो ज्योति की सन्तान की नाईं चलो।
9 (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धामिर्कता, और सत्य है)।
10 और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है
11 और अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन उन पर उलाहना दो।
12 क्योंकि उन के गुप्त कामों की चर्चा भी लाज की बात है।
13 पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं, क्योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है, वह ज्योति है।