1 क्योंकि व्यवस्था जिस में आने वाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उन का असली स्वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आने वालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकतीं।
2 नहीं तो उन का चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिये कि जब सेवा करने वाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उन का विवेक उन्हें पापी न ठहराता।
3 परन्तु उन के द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है।
4 क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे।
5 इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, कि बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार किया।