1 इस कारण चाहिए, कि हम उन बातों पर जो हम ने सुनी हैं और भी मन लगाएं, ऐसा न हो कि बहक कर उन से दूर चले जाएं।
2 क्योंकि जो वचन स्वर्गदूतों के द्वारा कहा गया था जब वह स्थिर रहा और हर एक अपराध और आज्ञा न मानने का ठीक ठीक बदला मिला।
3 तो हम लोग ऐसे बड़े उद्धार से निश्चिन्त रह कर क्योंकर बच सकते हैं? जिस की चर्चा पहिले पहिल प्रभु के द्वारा हुई, और सुनने वालों के द्वारा हमें निश्चय हुआ।
4 और साथ ही परमेश्वर भी अपनी इच्छा के अनुसार चिन्हों, और अद्भुत कामों, और नाना प्रकार के सामर्थ के कामों, और पवित्र आत्मा के वरदानों के बांटने के द्वारा इस की गवाही देता रहा॥