5 मूसा तो उसके सारे घर में सेवक की नाईं विश्वास योग्य रहा, कि जिन बातों का वर्णन होने वाला था, उन की गवाही दे।
6 पर मसीह पुत्र की नाईं उसके घर का अधिकारी है, और उसका घर हम हैं, यदि हम साहस पर, और अपनी आशा के घमण्ड पर अन्त तक दृढ़ता से स्थिर रहें।
7 सो जैसा पवित्र आत्मा कहता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो।
8 तो अपने मन को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय और परीक्षा के दिन जंगल में किया था।
9 जहां तुम्हारे बाप दादों ने मुझे जांच कर परखा और चालीस वर्ष तक मेरे काम देखे।
10 इस कारण मैं उस समय के लोगों से रूठा रहा, और कहा, कि इन के मन सदा भटकते रहते हैं, और इन्होंने मेरे मार्गों को नहीं पहिचाना।
11 तब मैं ने क्रोध में आकर शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे।