12 और मैं ने उसे जो मुझ से बोल रहा था; देखने के लिये अपना मुंह फेरा; और पीछे घूम कर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं।
13 और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सरीखा एक पुरूष को देखा, जो पांवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सुनहला पटुका बान्धे हुए था।
14 उसके सिर और बाल श्वेत ऊन वरन पाले के से उज्ज़वल थे; और उस की आंखे आग की ज्वाला की नाईं थी।
15 और उसके पांव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्टी में तपाए गए हों; और उसका शब्द बहुत जल के शब्द की नाईं था।
16 और वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिए हुए था: और उसके मुख से चोखी दोधारी तलवार निकलती थी; और उसका मुंह ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है।
17 जब मैं ने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा और उस ने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रख कर यह कहा, कि मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूं।
18 मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं।