27 जो मैं तुम से अन्धियारे में कहता हूं, उसे उजियाले में कहो; और जो कानों कान सुनते हो, उसे को ठों पर से प्रचार करो।
28 जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है।
29 क्या पैसे मे दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती।
30 तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं।
31 इसलिये, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।
32 जो कोई मनुष्यों के साम्हने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने मान लूंगा।
33 पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने इन्कार करूंगा।