7 और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है।
8 परन्तु, तुम रब्बी न कहलाना; क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
9 और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है।
10 और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात मसीह।
11 जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
12 जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा॥
13 हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय!