1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है।
2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।
3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।
4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते।