36 ये बातें इसलिये हुईं कि पवित्र शास्त्र की यह बात पूरी हो कि उस की कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी।
37 फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, कि जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे॥
38 इन बातों के बाद अरमतियाह के यूसुफ ने, जो यीशु का चेला था, ( परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था), पीलातुस से बिनती की, कि मैं यीशु की लोथ को ले जाऊं, और पीलातुस ने उस की बिनती सुनी, और वह आकर उस की लोथ ले गया।
39 निकुदेमुस भी जो पहिले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया।
40 तब उन्होंने यीशु की लोथ को लिया और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध द्रव्य के साथ कफन में लपेटा।
41 उस स्थान पर जहां यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक बारी थी; और उस बारी में एक नई कब्र थी; जिस में कभी कोई न रखा गया था।
42 सो यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण, उन्होंने यीशु को उसी में रखा, क्योंकि वह कब्र निकट थी॥