15 फिर फरीसियों ने भी उस से पूछा; तेरी आंखें किस रीति से खुल गईं? उस न उन से कहा; उस ने मेरी आंखो पर मिट्टी लगाई, फिर मैं ने धो लिया, और अब देखता हूं।
16 इस पर कई फरीसी कहने लगे; यह मनुष्य परमेश्वर की ओर से नहीं, क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता। औरों ने कहा, पापी मनुष्य क्योंकर ऐसे चिन्ह दिखा सकता है? सो उन में फूट पड़ी।
17 उन्होंने उस अन्धे से फिर कहा, उस ने जो तेरी आंखे खोलीं, तू उसके विषय में क्या कहता है? उस ने कहा, यह भविष्यद्वक्ता है।
18 परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि यह अन्धा था और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को जिस की आंखे खुल गईं थी, बुलाकर।
19 उन से न पूछा, कि क्या यह तुम्हारा पुत्र है, जिसे तुम कहते हो कि अन्धा जन्मा था? फिर अब क्योंकर देखता है?
20 उसके माता-पिता ने उत्तर दिया; हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अन्धा जन्मा था।
21 परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब क्योंकर देखता है; और न यह जानते हैं, कि किस ने उस की आंखे खोलीं; वह सयाना है; उसी से पूछ लो; वह अपने विषय में आप कह देगा।