32 जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया, कि किसी ने भी जन्म के अन्धे की आंखे खोली हों।
33 यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता।
34 उन्होंने उस को उत्तर दिया, कि तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है? और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया॥
35 यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उसे भेंट हुई तो कहा, कि क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है?
36 उस ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु; वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूं?
37 यीशु ने उस से कहा, तू ने उसे देखा भी है; और जो तेरे साथ बातें कर रहा है वही है।
38 उस ने कहा, हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं: और उसे दंडवत किया।