2 क्योंकि यदि इब्राहीम कर्मों से धर्मी ठहराया जाता, तो उसे घमण्ड करने की जगह होती, परन्तु परमेश्वर के निकट नहीं।
3 पवित्र शास्त्र क्या कहता है यह कि इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया।
4 काम करने वाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक समझा जाता है।
5 परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहराने वाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिना जाता है।
6 जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाउद भी धन्य कहता है।
7 कि धन्य वे हैं, जिन के अधर्म क्षमा हुए, और जिन के पाप ढांपे गए।
8 धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।