26 और ऐसा होगा कि जिस जगह में उन से यह कहा गया था, कि तुम मेरी प्रजा नहीं हो, उसी जगह वे जीवते परमेश्वर की सन्तान कहलाएंगे।
27 और यशायाह इस्त्राएल के विषय में पुकारकर कहता है, कि चाहे इस्त्राएल की सन्तानों की गिनती समुद्र के बालू के बारबर हो, तौभी उन में से थोड़े ही बचेंगे।
28 क्योंकि प्रभु अपना वचन पृथ्वी पर पूरा करके, धामिर्कता से शीघ्र उसे सिद्ध करेगा।
29 जैसा यशायाह ने पहिले भी कहा था, कि यदि सेनाओं का प्रभु हमारे लिये कुछ वंश न छोड़ता, तो हम सदोम की नाईं हो जाते, और अमोरा के सरीखे ठहरते॥
30 सो हम क्या कहें? यह कि अन्यजातियों ने जो धामिर्कता की खोज नहीं करते थे, धामिर्कता प्राप्त की अर्थात उस धामिर्कता को जो विश्वास से है।
31 परन्तु इस्त्राएली; जो धर्म की व्यवस्था की खोज करते हुए उस व्यवस्था तक नहीं पहुंचे।
32 किस लिये? इसलिये कि वे विश्वास से नहीं, परन्तु मानो कर्मों से उस की खोज करते थे: उन्होंने उस ठोकर के पत्थर पर ठोकर खाई।