30 कि साम्हने के गांव में जाओ, और उस में पहुंचते ही एक गदही का बच्चा जिस पर कभी कोई सवार नहीं हुआ, बन्धा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे खोल कर लाओ।
31 और यदि कोई तुम से पूछे, कि क्यों खोलते हो, तो यह कह देना, कि प्रभु को इस का प्रयोजन है।
32 जो भेजे गए थे; उन्होंने जाकर जैसा उस ने उन से कहा था, वैसा ही पाया।
33 जब वे गदहे के बच्चे को खोल रहे थे, तो उसके मालिकों ने उन से पूछा; इस बच्चे को क्यों खोलते हो?
34 उन्होंने कहा, प्रभु को इस का प्रयोजन है।
35 वे उस को यीशु के पास ले आए और अपने कपड़े उस बच्चे पर डालकर यीशु को उस पर सवार किया।
36 जब वह जा रहा था, तो वे अपने कपड़े मार्ग में बिछाते जाते थे।