21 उन्होंने उस से यह पूछा, कि हे गुरू, हम जानते हैं कि तू ठीक कहता, और सिखाता भी है, और किसी का पक्षपात नहीं करता; वरन परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है।
22 क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं।
23 उस ने उन की चतुराई को ताड़कर उन से कहा; एक दीनार मुझे दिखाओ।
24 इस पर किस की मूर्ति और नाम है उन्होंने कहा, कैसर का।
25 उस ने उन से कहा; तो जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।
26 वे लोगों के साम्हने उस बात को पकड़ न सके, वरन उसके उत्तर से अचम्भित होकर चुप रह गए।
27 फिर सदूकी जो कहते हैं, कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उन में से कितनों ने उसके पास आकर पूछा।