50 और उन में से एक ने महायाजक के दास पर चलाकर उसका दाहिना कान उड़ा दिया।
51 इस पर यीशु ने कहा; अब बस करो: और उसका कान छूकर उसे अच्छा किया।
52 तब यीशु ने महायाजकों; और मन्दिर के पहरूओं के सरदारों और पुरनियों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा; क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियां लिए हुए निकले हो?
53 जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अन्धकार का अधिकार है॥
54 फिर वे उसे पकड़कर ले चले, और महायाजक के घर में लाए और पतरस दूर ही दूर उसके पीछे पीछे चलता था।
55 और जब वे आंगन में आग सुलगाकर इकट्ठे बैठे, तो पतरस भी उन के बीच में बैठ गया।
56 और एक लौंडी उसे आग के उजियाले में बैठे देखकर और उस की ओर ताककर कहने लगी, यह भी तो उसके साथ था।