लूका 6:34-40 HHBD

34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं।

35 वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है।

36 जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो।

37 दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे: क्षमा करो, तो तुम्हारी भी क्षमा की जाएगी।

38 दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा॥

39 फिर उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा; क्या अन्धा, अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनो गड़हे में नहीं गिरेंगे?

40 चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरू के समान होगा।