25 तब यारोबाम एप्रैम के पहाड़ी देश के शकेम नगर को दृढ़ करके उस में रहने लगा; फिर वहां से निकल कर पनूएल को भी दृढ़ किया।
26 तब यारोबाम सोचने लगा, कि अब राज्य दाऊद के घराने का हो जाएगा।
27 यदि प्रजा के लोग यरूशलेम में बलि करने को जाएं, तो उनका मन अपने स्वामी यहूदा के राजा रहूबियाम की ओर फिरेगा, और वे मुझे घात करके यहूदा के राजा रहूबियाम के हो जाएंगे।
28 तो राजा ने सम्मति ले कर सोने के दो बछड़े बनाए और लोगों से कहा, यरूशलेम को जाना तुम्हारी शक्ति से बाहर है इसलिये हे इस्राएल अपने देवताओं को देखो, जो तुम्हें मिस्र देश से निकाल लाए हैं।
29 तो उसने एक बछड़े को बेतेल, और दूसरे को दान में स्थापित किया।
30 और यह बात पाप का कारण हुई; क्योंकि लोग उस एक के साम्हने दण्डवत करने को दान तक जाने लगे।
31 और उसने ऊंचे स्थानों के भवन बनाए, और सब प्रकार के लोगों में से जो लेवीवंशी न थे, याजक ठहराए।