1 राजा 6:3-9 HHBD

3 और भवन के मन्दिर के साम्हने के ओसारे की लम्बाई बीस हाथ की थी, अर्थात भवन की चौड़ाई के बराबर थी, और ओसारे की चौड़ाई जो भवन के साम्हने थी, वह दस हाथ की थी।

4 फिर उसने भवन में स्थिर झिलमिलीदार खिड़कियां बनाईं।

5 और उसने भवन के आसपास की भीतों से सटे हुए अर्थात मन्दिर और दर्शन-स्थान दोनों भीतों के आसपास उसने मंजिलें और कोठरियां बनाईं।

6 सब से नीचे वाली मंजिल की चौड़ाई पांच हाथ, और बीच वाली की छ: हाथ, और ऊपर वाली की सात हाथ की थी, क्योंकि उसने भवन के आसपास भीत को बाहर की ओर कुसींदार बनाया था इसलिये कि कडिय़ां भवन की भीतों को पकड़े हुए न हों।

7 और बनते समय भवन ऐसे पत्थरों का बनाया गया, जो वहां ले आने से पहिले गढ़कर ठीक किए गए थे, और भवन के बनते समय हथौड़े वसूली वा और किसी प्रकार के लोहे के औजार का शब्द कभी सुनाईं नहीं पड़ा।

8 बाहर की बीचवाली कोठरियों का द्वार भवन की दाहिनी अलंग में था, और लोग चक्करदार सीढिय़ों पर हो कर बीचवाली कोठरियों में जाते, और उन से ऊपर वाली कोठरियों पर जाया करते थे।

9 उसने भवन को बनाकर पूरा किया, और उसकी छत देवदारु की कडिय़ों और तख्तों से बनी थी।