1 राजा 8:30-36 HHBD

30 और तू अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिस को वे इस स्थान की ओर गिड़गिड़ा के करें उसे सुनना, वरन स्वर्ग में से जो तेरा निवासस्थान है सुन लेना, और सुनकर क्षमा करना।

31 जब कोई किसी दूसरे का अपराध करे, और उसको शपथ खिलाई जाए, और वह आकर इस भवन में तेरी वेदी के साम्हने शपथ खाए,

32 तब तू स्वर्ग में सुन कर, अर्थात अपने दासों का न्याय करके दुष्ट को दुष्ट ठहरा और उसकी चाल उसी के सिर लौटा दे, और निर्दोष को निर्दोष ठहराकर, उसके धर्म के अनुसार उसको फल देना।

33 फिर जब तेरी प्रजा इस्राएल तेरे विरुद्ध पाप करने के कारण अपने शत्रुओं से हार जाए, और तेरी ओर फिर कर तेरा नाम ले और इस भवन में तुझ से गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करे,

34 तब तू स्वर्ग में से सुनकर अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा करना: और उन्हें इस देश में लौटा ले आना, जो तू ने उनके पुरुखाओं को दिया था।

35 जब वे तेरे विरुद्ध पाप करें, और इस कारण आकाश बन्द हो जाए, कि वर्षा न होए, ऐसे समय यदि वे इस स्थान की ओर प्रार्थना करके तेरे नाम को मानें जब तू उन्हें दु:ख देता है, और अपने पाप से फिरें, तो तू स्वर्ग में से सुनकर क्षमा करना,

36 और अपने दासों, अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उन को वह भला मार्ग दिखाता है, जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिये अपने इस देश पर, जो तू ने अपनी प्रजा का भाग कर दिया है, पानी बरसा देना।