1 शमूएल 20:26-32 HHBD

26 उस दिन तो शाऊल यह सोचकर चुप रहा, कि इसका कोई न कोई कारण होगा; वह अशुद्ध होगा, नि:सन्देह शुद्ध न होगा।

27 फिर नये चाँद के दूसरे दिन को दाऊद का स्थान खाली रहा। और शाऊल ने अपने पुत्र योनातन से पूछा, क्या कारण है कि यिशै का पुत्र न तो कल भोजन पर आया था, और न आज ही आया है?

28 योनातन ने शाऊल से कहा, दाऊद ने बेतलेहेम जाने के लिये मुझ से बिनती करके छुट्टी मांगी;

29 और कहा, मुझे जाने दे; क्योंकि उस नगर में हमारे कुल का यज्ञ है, और मेरे भाई ने मुझ को वहां उपस्थित होने की आज्ञा दी है। और अब यदि मुझ पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो, तो मुझे जाने दे कि मैं अपने भाइयों से भेंट कर आऊं। इसी कारण वह राजा की मेज पर नहीं आया।

30 तब शाऊल का कोप योनातन पर भड़क उठा, और उसने उस से कहा, हे कुटिला राजद्रोही के पुत्र, क्या मैं नहीं जानता कि तेरा मन तो यिशै के पुत्र पर लगा है? इसी से तेरी आशा का टूटना और तेरी माता का अनादर ही होगा।

31 क्योंकि जब तक यिशै का पुत्र भूमि पर जीवित रहेगा, तब तक न तो तू और न तेरा राज्य स्थिर रहेगा। इसलिये अभी भेज कर उसे मेरे पास ला, क्योंकि निश्चय वह मार डाला जाएगा।

32 योनातन ने अपने पिता शाऊल को उत्तर देकर उस से कहा, वह क्यों मारा जाए? उसने क्या किया है?