10 जवानों ने जो उस के संग बड़े हुए थे उसको यह उत्तर दिया, कि उन लोगों ने तुझ से कहा है, कि तेरे पिता ने हमारा जूआ भारी किया था, परन्तु उसे हमारे लिये हलका कर; तू उन से यों कहना, कि मेरी छिंगुलिया मेरे पिता की कटि से भी मोटी ठहरेगी।
11 मेरे मिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था, उसे मैं और भी भारी करूंगा; मेरा पिता तो तूम को कोड़ों से ताड़ना देता था, परन्तु मैं बिच्छुओं से दूंगा।
12 तीसरे दिन जैसे राजा ने ठहराया था, कि तीसरे दिन मेरे पास फिर आना, वैसे ही यारोबाम और सारी प्रजा रहूबियाम के पास उपस्थित हुई।
13 तब राजा ने उस से कड़ी बातें कीं, और रहूबियाम राजा ने बूढ़ों की दी हुई सम्मति छोड़ कर
14 जवानों की सम्मति के अनुसार उन से कहा, मेरे पिता ने तो तुम्हारा जूआ भारी कर दिया, परन्तु मैं उसे और भी कठिन कर दूंगा; मेरे पिता ने तो तुम को कोड़ों से ताड़ना दी, परन्तु मैं बिच्छुओं से ताड़ना दूंगा।
15 इस प्रकार राजा ने प्रजा की बिनती न मानी; इसका कारण यह है, कि जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहिय्याह के द्वारा नबात के पुत्र यारोबाम से कहा था, उसको पूरा करने के लिये परमेश्वर ने ऐसा ही ठहराया था।
16 जब सब इस्राएलियों ने देखा कि राजा हमारी नहीं सुनता, तब वे बोले कि दाऊद के साथ हमारा क्या अंश? हमारा तो यिशै के पुत्र में कोई भाग नहीं है। हे इस्राएलियो, अपने अपने डेरे को चले जाओ। अब हे दाऊद, अपने ही घराने की चिन्ता कर।