2 इतिहास 25:12-18 HHBD

12 और यहूदियों ने दस हजार को बन्धुआ कर के चट्टान की चोटी पर ले गए, और चट्टान की चोटी पर से गिरा दिया, सो वे सब चूर चूर हो गए।

13 परन्तु उस दल के पुरुष जिसे अमस्याह ने लौटा दिया कि वे उसके साथ युद्ध करने को न जाएं, शेमरोन से बेथोरोन तक यहूदा के सब नगरों पर टूट पड़े, और उनके तीन हजार निवासी मार डाले और बहुत लूट ले ली।

14 जब अमस्याह एदोनियों का संहार कर के लौट आया, तब उसने सेईरियों के देवताओं को ले आकर अपने देवता कर के खड़ा किया, और उन्हीं के साम्हने दण्डवत करने, और उन्हीं के लिये धूप जलाने लगा।

15 तब यहोवा का क्रोध अमस्याह पर भड़क उठा और उसने उसके पास एक नबी भेजा जिसने उस से कहा, जो देवता अपने लोगों को तेरे हाथ से बचा न सके, उनकी खोज में तू क्यों लगा है?

16 वह उस से कह ही रहा था कि उसने उस से पूछा, क्या हम ने तुझे राजमन्त्री ठहरा दिया है? चुप रह! क्या तू मार खाना चाहता है? तब वह नबी यह कह कर चुप हो गया, कि मुझे मालूम है कि परमेश्वर ने तुझे नाश करने को ठाना है, क्योंकि तू ने ऐसा किया है और मेरी सम्मति नहीं मानी।

17 तब यहूदा के राजा अमस्याह ने सम्मति ले कर, इस्राएल के राजा योआश के पास, जो येहू का पोता और यहोआहाज का पुत्र था, यों कहला भेजा, कि आ हम एक दूसरे का साम्हना करें।

18 इस्राएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमस्याह के पास यों कहला भेजा, कि लबानोन पर की एक झड़बेरी ने लबानोन के एक देवदार के पास कहला भेजा, कि अपनी बेटी मेरे बेटे को ब्याह दे; इतने में लबानोन का कोई वन पशु पास से चला गया और उस झड़बेरी को रौंद डाला।