2 इतिहास 3:7-13 HHBD

7 और उसने भवन को, अर्थात उसकी कडिय़ों, डेवढिय़ों, भीतों और किवाडों को सोने से मढ़वाया, और भीतों पर करूब खुदवाए।

8 फिर उसने भवन के परमपवित्र स्थान को बनाया; उसकी लम्बाई तो भवन की चौड़ाई के बराबर बीस हाथ की थी, और उसकी चौड़ाई बीस हाथ की थी; और उसने उसे छ: सौ किक्कार चोखे सोने से मढ़वाया।

9 और सोने की कीलों का तौल पचास शेकेल था। और उसने अटारियों को भी सोने से मढ़वाया।

10 फिर भवन के परमपवित्र स्थान में उसने नक्काशी के काम के दो करूब बनवाए और वे सोने से मढ़वाए गए।

11 करूबों के पंख तो सब मिलकर बीस हाथ लम्बे थे, अर्थात एक करूब का एक पंख पांच हाथ का और भवन की भीत तक पहुंचा हुआ था; और उसका दूसरा पंख पांच हाथ का था और दूसरे करूब के पंख से मिला हुआ था।

12 और दूसरे करूब का भी एक पंख पांच हाथ का और भवन की दूसरी भीत तक पहुंचा था, और दूसरा पंख पांच हाथ का और पहिले करूब के पंख से सटा हुआ था।

13 इन करूबों के पंख बीस हाथ फैले हुए थे; और वे अपने अपने पांवों के बल खड़े थे, और अपना अपना मुख भीतर की ओर किए हुए थे।