2 इतिहास 33:10-16 HHBD

10 और यहोवा ने मनश्शे और उसकी प्रजा से बातें कीं, परन्तु उन्होंने कुछ ध्यान नहीं दिया।

11 तब यहोवा ने उन पर अश्शूर के सेनापतियों से चढ़ाई कराई, और ये मनश्शे को नकेल डाल कर, और पीतल की बेडिय़ां जकड़ कर, उसे बाबेल को ले गए।

12 तब संकट में पड़ कर वह अपने परमेश्वर यहोवा को मानने लगा, और अपने पूर्वजों के परमेश्वर के साम्हने बहुत दीन हुआ, और उस से प्रार्थना की।

13 तब उसने प्रसन्न हो कर उसकी विनती सुनी, और उसको यरूशलेम में पहुंचा कर उसका राज्य लौटा दिया। तब मनश्शे को निश्चय हो गया कि यहोवा ही परमेश्वर है।

14 इसके बाद उसने दाऊदपुर से बाहर गीहोन के पश्चिम की ओर नाले में मच्छली फाटक तक एक शहरपनाह बनवाई, फिर ओपेल को घेर कर बहुत ऊंचा कर दिया; और यहूदा के सब गढ़ वाले नगरों में सेनापति ठहरा दिए।

15 फिर उसने पराये देवताओं को और यहोवा के भवन में की मूर्ति को, और जितनी वेदियां उसने यहोवा के भवन के पर्वत पर, और यरूशलेम में बनवाई थीं, उन सब को दूर कर के नगर से बाहर फेंकवा दिया।

16 तब उसने यहोवा की वेदी की मरम्मत की, और उस पर मेलबलि और धन्यवादबलि चढ़ाने लगा, और यहूदियों को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की उपासना करने की आज्ञा दी।